दिल्ली सरकार पर खतरे के बादल मंडराने कम नहीं हो रहे हैं और केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। जिसकी वजह से उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। एक बार नहीं दो बार नहीं तीसरी बार अब ED की तरफ से केजरीवाल को सम्मन भेजा गया है। जिससे केजरीवाल के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है। अब केजरीवाल के पास कोई रास्ता नहीं बचा है। पूछताछ से बचने और ED के सामने पेश न होकर केजरीवाल अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।
क्या है बड़ा मामला और कैसे केजरीवाल बुरी तरह से फंस गए हैं सब कुछ आपको पॉइंट टू पॉइंट बताते हैं।
केजरीवाल पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, केजरीवाल क्या गिरफ्तार हो सकते हैं?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ गई है क्योंकि दिल्ली शराब नीति मामले में परिवर्तन निदेशालय यानी कि ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीसरी बार सम्मन जारी किया है। उन्हें 3 जनवरी 2024 को ED के सामने पेश होने के लिए कहा गया है, इससे पहले सीएम केजरीवाल को दो सम्मन जारी किए जा चुके हैं। लेकिन वह हाजिर नहीं हुए, उन्होंने खुद के शहर से बाहर होने और नोटिस को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया था। ED दिल्ली एक्साइज नीति में कत्थक घोटाले के धन शोधन के पहलू की जांच कर रही है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि केजरीवाल इस तीसरे सम्मन का पालन करेंगे या नहीं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय विपश्यना के लिए पंजाब के होशियारपुर गए हुए हैं और 30 दिसंबर 2023 तक लौटने की उम्मीद है। इससे पहले ED ने 18 दिसंबर 2023 को अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दूसरा सम्मन जारी किया था और 21 दिसंबर 2023 को पेश होने के लिए कहा था। इस संबंध को आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने राजनीति से प्रेरित बताया था। उन्होंने कहा था कि ईडी ने यह सम्मन ऐसे समय में जारी किया है जब वह 20 दिसंबर 2023 को विपश्यना के लिए रवाना होने वाले हैं। वहीं ED ने इस मामले में दो नवंबर 2023 को पहले सम्मन भेजकर अरविंद केजरीवाल को पूछताछ में शामिल होने के लिए बोला था। तब केजरीवाल खुद को चुनाव में व्यस्त बता कर ED के सामने पेश होने से इनकार कर गए थे। वह मध्य प्रदेश के सिंगरौली में चुनाव प्रचार करने चले गए थे। इस समय जेल में बंद अरविंद केजरीवाल के करीबी साथियों और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संजय सिंह और मनीष सिसोदिया दोनों ने जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। हालांकि कोर्ट ने 22 दिसंबर 2023 को उनकी याचिका खारिज कर दी संजय सिंह को 10 जनवरी 2024 तक हिरासत में भेज दिया गया है। जबकि मनीष सिसोदिया की सुनवाई 19 जनवरी 2024 को होगी दिल्ली की आबकारी नीति में घोटाले में दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री और लाइसेंसिंग का काम निजी कंपनियों को दे दिया था। इस नीति पर कई सवाल उठे थे जिसमें यह भी सवाल था कि क्या इस नीति से दिल्ली सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है। घोटाले की जांच शुरू की और उसने कई लोगों से पूछताछ की अरविंद केजरीवाल के अलावा इस घोटाले में कई अन्य लोगों के नाम भी सामने सामने आए हैं। जिनमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे महत्वपूर्ण लोग इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। इसी मामले में उन्होंने जमानत की याचिका दाखिल की थी। दूसरे सम्मन पर पेश होने से इनकार करते हुए केजरीवाल ने मामले की जांच अधिकारी को पत्र लिखा था इसमें उन्होंने कहा था कि व्यक्तिगत पेशी के लिए उनके खिलाफ जारी किया गया नोटिस कानून के अनुरूप नहीं है। इसे वापस लिया जाना चाहिए। अब सवाल यह है कि 3 जनवरी को भी अगर पेशी पर नहीं आते हैं तो क्या होगा सौरभ भारद्वाज ने 22 दिसंबर को कहा कि ED की तरफ से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजा गया नया सम्मन कानूनी प्रक्रिया से ज्यादा केंद्र का राजनीतिक दिखावा प्रतीत होता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में भारद्वाज ने कहा कि हर कोई जानता है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपश्यना में है ED को भी अच्छी तरह मालूम है कि केजरीवाल को सम्मन नहीं दिया जा सकता क्योंकि जब वह 10 दिनों के लिए विपश्यना में है और उस दौरान उनके पास संचार का कोई माध्यम नहीं है।
पेश होने से चूके तो आगे क्या होगा
सौरभ भारद्वाज के प्रतिक्रिया से एक बात का मजबूत संकेत मिलता है कि केजरीवाल इस बार भी ED के सामने पेश नहीं होंगे। प्रीवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी कि पीएमएलए के तहत बुलाया गया कोई व्यक्ति तीन बार पेशी से बच सकता है इसके बाद एजेंसी उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट यानी की ब्ल्यू की मांग करते हुए कोर्ट का रुख कर लेती है। केजरीवाल का मामला भी आता है और ब्ल्यू अदालतीं देश है इसमें व्यक्ति को एक तय तारीख और समय पर एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा जाता है। अदालत के साथ देश की अवहेलना पर केजरीवाल की गिरफ्तारी हो सकती है।
ED के सामने और क्या है विकल्प?
ED के सामने और भी विकल्प है मतलब सैद्धांतिक तौर पर तब तक नोटिस जारी करता रह सकता है जब तक सीएम केजरीवाल उसका पालन नहीं करते हैं। इसके अलावा जांच अधिकारी उनके आवास पर जाकर भी पूछताछ कर सकते हैं। अगर उनके पास ठोस सबूत है और उन्होंने अपने सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलते हैं। तो वह गिरफ्तार कर सकते हैं।
बीजेपी ने बोला जोरदार हमला!
केजरीवाल को 21 दिसंबर को परिवर्तन निदेशालय यानी कि E D के सामने शराब घोटाले में पूछताछ के लिए पेश होना था। लेकिन आम आदमी पार्टी के मुताबिक अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 10 दिनों के लिए विपश्यना करने के लिए गए। इसलिए वह 21 दिसंबर को परिवर्तन निदेशालय यानी कि ED के सामने पेश नहीं हो पाए। भाजपा ने इसे अरविंद केजरीवाल की शराब घोटाले की जांच से भागने की कोशिश करार दिया और कहा कि केजरीवाल चाहे जो कोशिश कर ले विपश्यना के बाद उन्हें जेलासन करना पड़ेगा।
तो क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तय हो गई है। दरअसल भाजपा ने अरविंद केजरीवाल कार्यक्रम के बहाने ED के सामने पेश न होने को कानून की एजेंसियों का उपहास उड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अरविंद केजरीवाल एजेंसी की जांच से बचने की कोशिश कर रहे हैं इसके पहले 2 नवंबर को भी जब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था तब उन्होंने मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी व्ययस्था बताई थी। लेकिन उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई। भाजपा नेता के अनुसार यह दिखाया कि आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल चुनाव के लिए गंभीर नहीं थी बल्कि वह चुनाव का उपयोग जांच से बचने के लिए कर रहे थे। इस बार विपश्यना को वह जांच एजेंसी से बचने के लिए उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि केजरीवाल चाहे जो उपाय कर ले विपश्यना के बाद उन्हें जेलासना करना पड़ेगा यानी उन्हें जेल जाना पड़ेगा। आम आदमी पार्टी लंबे समय से कह रही है कि उसके नेता अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने की तैयारी चल रही है। स्वयं भाजपा के भी कई नेता कह रहे हैं कि शराब घोटाले में अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तय है। क्योंकि आम आदमी पार्टी में कुछ भी अरविंद केजरीवाल की इच्छा से अलग नहीं हो सकता इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि शराब मामले में नीतियों में परिवर्तन कर जो अनुचित लाभ कमाया गया उसके असली लाभार्थी अरविंद केजरीवाल ही थे। अगर जांच एजेंसी अदालत में यह बात साबित करने में सफल हो जाती है तो अरविंद केजरीवाल इस शराब घोटाले के सबसे प्रमुख आरोपी बन जाएंगे और पूछताछ के बाद उन्हें भी हिरासत में ले लिया जाएगा। शराब घोटाले से मिली कमाई का आम आदमी पार्टी ने गोवा और पंजाब के विधानसभा चुनाव में उपयोग किया। इसके आधार पर शराब घोटाले में जांच एजेंसी ने आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाया है। अगर आप साबित हो जाते हैं तो इसका आम आदमी पार्टी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है। आम आदमी पार्टी नेताओं का आरोप रहा है कि भाजपा के इशारे पर परिवर्तन निदेशालय आम आदमी पार्टी को जांच मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है। यह कोशिश आम आदमी को समाप्त करने के लिए की जा रही है उसका कहना है कि आम आदमी पार्टी को फसाने की कोशिश इसलिए की जा रही है क्योंकि भाजपा आम आदमी पार्टी से चुनाव में मुकाबला नहीं कर पा रही है।
क्या होगा राजनीतिक नुकसान?
अगले चार-पांच महीने के अंदर ही लोकसभा के चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी उपलब्धि उसकी ईमानदार छवि रही है। यदि इस घोटाली में पार्टी और उसके नेताओं की संलिप्तता साबित हो जाती है और वह कोर्ट की तरफ से दोषी करार दिए जाते हैं तो उसकी छवि पर बहुत नकारात्मक असर पड़ेगा इसका उसे राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन नहीं किया तो उसके भविष्य पर भी सवाल खड़े किए जाएंगे। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी इन आरोपों से बचने के लिए हर जुगत लगा रही है। उसकी कोशिश कितनी सफल हो पाएगी यह भी जल्द ही साफ हो जाएगा।
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